वृत्ते- अक्षरगणवृत्ते

/ मराठी व्याकरण

आपण आपल्या मनातील विचार, भावना, कल्पना भाषेद्वारेच व्यक्त करत असतो आणि ते प्रकट करण्यासाठी आपण पुढील प्रकारांचा वापर करतो.

१) गद्य

आपल्या मनात जसे विचार येतात ते जसेच्या तसे बोलून दाखविणे हे गद्य प्रकारात येते. आपल्या या स्वाभाविक बोलण्याला गद्य असे म्हणतात.       

उदा.

हे ईश्वरा, मी जेथे जाईन, तेथे तू माझ्याबरोबर असतोस.      

२) पद्य

आपल्या मनातील विचार, कल्पना काही ठरावीक क्रमाने लिहून ते सुरावर म्हणता येतील अशा पध्दतीने त्याची रचना केली तर त्याला पद्य असे म्हणतात.    

उदा.

‘जेथे जातो तेथे, तू माझा सांगाती.

वृत्तांसंबंधी काही महत्वाच्या गोष्टी-

१) मात्रा –            

एखाद्या अक्षराचा उच्चार करण्यास जो कालावधी किंवा वेळ लागतो त्यास ‘मात्रा’ असे म्हणतात.         

२) लघु -गुरु-

अक्षरांमध्ये  ऱ्हस्व आणि  र्दीर्घ असे दोन प्रकारचे उच्चार आहेत. सामान्य भाषेत ज्यांना ऱ्हस्व व दीर्घ असे म्हणतात त्यांना पद्याच्या भाषेत ‘लघु – गुरु’ असे म्हणतात.     

ऱ्हस्व अक्षर उच्चारायला जो वेळ लागतो; त्यापेक्षा दीर्घ अक्षर उच्चारायला अधिक वेळ लागतो.

 लघुअक्षरे (ऱ्हस्व ) – लघुअक्षर अर्धचंद्राकृती (U) चिन्हाने दाखवतात व त्याची एक मात्रा मोजतात.

अ, इ, उ, ॠ तसेच हे स्वर मिसळून तयार झालेल्या अक्षरांना  क, कि, कु, कृ लघु (ऱ्हस्व ) अक्षरे असे म्हणतात. 

गुरु अक्षरे (दीर्घ ) – गुरु अक्षरे आडव्या रेषेने  ( _ )  दाखवितात व त्याची दोन मात्रा मोजतात.

आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ या दीर्घ उच्चारल्या जाणा-या स्वरांस किंवा हे स्वर मिळून तयार झालेल्या अक्षरांस उदा – का, की कू, के, कै, को, कौ  गुरु अक्षरे असे म्हणतात. 

उदा. 

म  ना  स   | ज्ज  ना  भ  |  क्ति पं  थे    | चि  जा  वे !

U  _   _      U   _    _     U   _  _       U   _   _      

३) लग क्रम –

लघु गुरूच्या क्रमालाच लगक्रम असे म्हणतात.

मात्रा मोजण्याचे नियम            

१) लघु (U) अक्षराची एक मात्रा मोजतात. ‘ल’ हे लघुचे संक्षिप्त रूप आहे.          

उदा.

ग  = U = एक मात्रा          

२) गुरु ( _ ) अक्षराच्या दोन मात्रा मोजतात. ‘ग’ हे गुरूचे संक्षिप्त रूप आहे.           

उदा.

मा= _ = दोन मात्रा         

३) जोडाक्षरांपूर्वी अक्षर लघु (U) असेल; पण त्याच्यावर पुढील अक्षराचा आघात होत असेल, तर ते गुरु समजून त्याच्या दोन मात्रा मोजतात.     

उदा. पुस्तक ( _UU)   

४) जोडाक्षरातील शेवटचा वर्ण ऱ्हस्व  असेल तर जोडाक्षर लघु मानावे.

उदा.- भास्कर ( _UU) 

५) जोडाक्षरातील शेवटचा वर्ण दीर्घ असेल तर ते गुरु मानावे.

उदा.- लज्जा (_ _)

६) जोडाक्षर लघु-गुरु जसे असेल तसेच धरून त्याप्रमाणे त्याच्या मात्रा मोजायच्या असतात.             

उदा.

सज्जना या शब्दातील ज्ज हा लघुच आहे. त्याची एक मात्रा आहे.   

७) अक्षरावरील अनुस्वाराचा स्पष्टपणे उच्चार होत असेल, तर ते गुरु धरून त्याच्या दोन मात्रा मोजायच्या असतात.            

उदा.

पंथेचि या शब्दात पं हे अक्षर गुरु आहे. त्याच्या दोन मात्रा होतात.  

८) अक्षरापुढे विसर्ग असेल, तर मागील अक्षरावर त्याचा आघात येतो. म्हणून विसर्गामागील अक्षर ऱ्हस्व असले, तरी ते दीर्घ धरून त्याच्या दोन मात्रा मोजायच्या.         

उदा.

दु:ख हा शब्द  

९) काही वृत्तांच्या चरणात तीन- तीन  अक्षरांचे गट पाडल्यावर शेवटी एक किंवा दोन अक्षरे राहतात त्यातील लघूला ल आणि गुरूला ग अशी नवे द्यावीत.

१०) कवितेच्या चरणात शेवटी येणारे लघु अक्षर दीर्घ उच्चारले जाते म्हणून ते गुरु मानावे. 

गण –     

पद्याच्या चरणातील अक्षरांचा लघुगुरुक्रम मांडून वृत्ताची लक्षणे ठरविताना त्यातील तीन तीन  अक्षरांचा एकेक गट करुन तो मांडण्याची पध्दत आहे. या अक्षरांच्या गटांनाच गण असे म्हणतात. गण म्हणजे कवितेतील अक्षरे मोजण्याचे माप होय. या अक्षरांच्या गटात काही अक्षरे लघू तर काही अक्षरे गुरु असतात.

तीन अक्षरांच्या गटातील अक्षरांना आद्य, मध्य आणि अंत्य असे म्हणतात. तीन अक्षरी लघुगुरुक्रमाने एकंदर आठ गण  (‘य, र, त, न, भ, ज, स, म’ ) पडतात.   

क्रम     गण  चिन्ह
आद्यलघू           U _ _ 
मध्यलघू _ U _
अंत्यलघू _ _ U
सर्वलघूU U U 
आद्यगुरु _ U U
मध्यगुरुU _ U 
अंत्यगुरु U U _
सर्वगुरु_ _ _ 

यती –        

कवितेचा चरण म्हणत असताना आपण मध्येच काही अक्षरांनंतर थांबतो. या थांबण्याच्या जागेला किंवा विरामाला यती असे म्हणतात. जर शब्दांच्या मध्येच थांबावे लागत असेल तर त्यास यतिभंग असे म्हणतात.

उदा.

‘मना सज्जना तू कडेनेच जावे’

तू या अक्षरावर थांबतो ते अक्षर सहावे आहे म्हणून यती सहाव्या अक्षरावर आहे. नंतरची यती बाराव्या अक्षरावर आहे. म्हणजेच वे वर येते.

वृत्तांचे प्रकार 

वृत्तांचे खालीलप्रमाणे प्रकार पडतात-    

१) अक्षरगणवृत्ते

२) जाती किंवा मात्रावृत्ते 

३) अक्षर छंदवृत्ते 

४) मुक्तछंद  

१) अक्षरगणवृत्ते         

अक्षरगणवृत्ते म्हणजे लघु-गुरु अक्षरांचा साचेबद्ध आणि व्याकरणनिष्ठ आविष्कार करणे होय. ज्या रचनेतील  प्रत्येक ओळीत अक्षरांची संख्या सारखीच असते, ओळीतील अक्षरांचा लघू , गुरु क्रम सारखा असतो, यतिस्ताने सामान असतात त्यास अक्षरगणवृत्त असे म्हणतात.

अक्षरगणवृत्ताचे काही प्रकार पुढील प्रमाणे :  

१) इंद्रवज्रा

२) उपेंद्रवज्रा

३) उपजाती

४) भुजंगप्रयात

५) वसंततिलका 

६) मालिनी

७) मंदाक्रांता

८) पृथ्वी

९) शार्दूलविक्रीडित 

१०) मंदारमाला

११) सुंदरमाला

१२) द्रुतविलंबित

१३) शिखरिणी

१४) हरिणी

१५) स्रग्धरा

१६) पञ्चचामर

१) इंद्रवज्रा

अक्षरे- ११

गण – त, त, ज, ग, ग

यती- पाचव्या अक्षरांवर

उदा-जे    ए    क
ते    चि   त्त
 स    त्या    स
लो    को    त
च    नि    त्य
र     हो    य
से     वी
के    वी
लघू गुरु क्रम _     _     U _      _     UU     _     U  _      _
गणग      ग

२) उपेंद्रवज्रा

अक्षरे- ११

गण – ज, त, ज, ग, ग

यती- पाचव्या अक्षरांवर

उदा-क    री    क
त    या    स
सू    नी    नी
खा    या    स
ट    भू    मि
अ    से    ल
से    वा
मे    वा
लघू गुरु क्रमU     _     U _      _     UU     _     U  _      _
गणग      ग

३) उपजाती

इंद्रवज्रा आणि उपेंद्रवज्रा यांच्या मिश्र प्रयोगाला उपजाती असे म्हणतात.

उदा-रा    ष्ट्री    यजो    स    र्वज    ना    भिमा    नी
लघू गुरु क्रम _     _     U _      _     UU     _     U  _      _
गणग      ग
उदा-न     जा     ति  तो     वा    उप     जा     तिमा     नी
लघू गुरु क्रमU     _     U _      _     UU     _     U  _      _
गणग      ग

४) भुजंगप्रयात

अक्षरे- १२

गण – य, य, य, य

यती- सहाव्या अक्षरांवर

उदा-म    ना    स
न    हो    ऊ
कु   णी    दृ
त    री     दा
ज्ज   ना    तू
न    को    णा
ष्ट    अं     गा
ख    वा    वा
क    डे    ने
स    ही    दू
स    ला    वी
 भु    जं    ग
च    जा    वे
ख    वा    वे
त     हा    त
प्र    या     त
लघू गुरु क्रमU     _      _ U     _      _ U     _      _ U     _      _ 
         गण

५) वसंततिलका 

अक्षरे- १४

गण – त, भ, ज, ज, ग, ग

यती- आठव्या  अक्षरांवर

उदा-आ    र     क्त
फे    की     र
ऐ     कू     न
वृ    त्ती     व
हो    य    फु
सा    ल    त
 ये    तु    ज
सं    त    ति
लु    नी     प्र
रु    ही    म
पि    क   स्व
ल    का    न
ण    यी    प
धु    गं     ध
र     मं    जु
तु    झी    खु
ला    श
पा    श
ळे    का?
ले     का?   
लघू गुरु क्रम _     _     U_      U      UU     _     U U     _     U  _      _
गणग      ग

६) मालिनी

अक्षरे- १५

गण – न, न, म, य, य

यती- ८ व्या व १५  अक्षरांवर

उदा-प    ख    र
प    रि    म
ग    व    त
ध    र    णि
ण    ब    घ
ल    उ    ध
हि    सु    म
ह    रि    त
घा    ली    भू
ळी    हा    सो
भू     षा    दा
व    स्त्रा    मा
व    री    पा
न    चा    फा
ख    वी    आ
लि   नी    सा
रि    जा    त
दि    शा    त
ज     दे    ही
ज    ते     ही
लघू गुरु क्रमU     U     U U     U     U _      _      _ U      _      _ U      _      _ 
गण

७) मंदाक्रांता

अक्षरे- १७

गण – म, भ, न, त, त, ग, ग

यती- ४ थ्या, १० व्या अक्षरांवर

उदा-मे    घां    नी
हो    ई    प
त    न्निः   श्वा
मं    दा    क्रां
हे    ग    ग
र्यु    त्सु    क
स    श्र    वु
ता    स    र
न    भ    र
वि    क   ल
न    रि    झ
स    क    वि
ता    गा    ढ
तो    कां    त
वी     को    ण
ता     का    लि  
आ    षा    ढ
 ए    कां    त
त्या    च्या    जि
दा     सी      वि
मा    सी
वा    सी
वा    सी ?
ला    सी
लघू गुरु क्रम_      _      _ _      U      UU     U     U  _      _     U _      _     U _      _
गणग      ग

८) पृथ्वी

अक्षरे- १७

गण – ज, स, ज, स, य, ल, ग

यती- ८ व्या अक्षरांवर

उदा-कु    ठे    भ
न    हा    क
ट    क    शी
 ह्र    द    यी
 घ    ना    व
 तु    झ्या    ज
ळु    नि    ऐ
न    नि    ची
क    के   का
क    शी    पा
व    ली
व    ली
लघू गुरु क्रमU     _     U  U     U      _U     _     U  U     U      _U      _      _ U      _
गणल     ग

९) शार्दूलविक्रीडित 

अक्षरे- १९ 

गण – म, स, ज, स, त, त, ग

यती- १२ व्या अक्षरांवर

उदा-भा    षा    सं
ना    ना    ध
भे    दां    नी
ता    णू    नी
स्कृ    ति    थो
र्म     अ    सं
 प    रि     या
अ    पु     ले
र      ए     क
ख्य   जा    ति
कि    ती     दि
स्व     रु     प
च    म    हा
अ    स    ती
न     तु    वा
 क    र     तू
रा    ष्ट्रा    तु
अ    द्या    पि
व्हा    वे    त्रि
 शा    र्दु    ल
झी    दे    ख
सा    रे     ख
धा     पी    डि
वि    क्री    डि
रे
रे

त 
लघू गुरु क्रम_      _      _  U     U      _U     _     U  U     U      _ _      _     U _      _     U _
गण त

१०) मंदारमाला

अक्षरे- २२ 

गण – त, त, त, त, त, त, त, ग 

यती- ४, १० आणि १६व्या अक्षरांवर

उदा-शो    भे    स
वी    णा    क
भो    वा    र
री    मं    जु
 मं    दा    र
 झं    का    र
मा    ला    मु
हा    ती    अ
दे     वा    ह
से     शा    र
ते     मं     द
दा    ही     ज
 मं    दा    कि
ग    न्मो    हि
नी
नी
लघू गुरु क्रम _     _     U _     _     U _     _     U _     _     U _     _     U _     _     U _     _     U _
गण

११) सुंदरमाला

अक्षरे- २३ 

गण – त, त, त, त, त, त, त, ल ग 

यती- ५, ११ आणि १७ व्या अक्षरांवर

उदा-म    रा    ठी अ    से    आमु    ची     माय    बो    लीजा    ति    भिन्न    ध    र्मानु    या    यीअ    सू
लघू गुरु क्रम _     _     U _     _     U _     _     U _     _     U _     _     U _     _     U _     _     U U    _
गणल    ग

१२) द्रुतविलंबित

अक्षरे- १२  

गण – न, भ, भ, र 

यती- १२  व्या अक्षरांवर

उदा-स   व   ड
नि   त   ह
ग   ह   न
द्रु   त   वि
सा   प   ड
ळु   ह  ळु
क   र्म   ग
लं   ब   ति
ता   न   क
क   ष्ट   क
ती   तु   ज
जे   श्र   म
री   म   जा
री   त   जा
बो   ल   ते
फो   ल   ते
लघू गुरु क्रमU    U    U _     U   U_     U    U _     U    _
गण

१३) शिखरिणी

अक्षरे- १७   

गण – य, म, न,  स, भ, ल, ग 

यती- ६ व १२ व्या अक्षरांवर

उदा-म   हा   रा
अ   हा   ती
व   हा   ती
प   हा    स
ष्ट्री   सृ   ष्टी
 मै   दा   ने
 ये   थे    न
ह्या   ची   च
स्व   वि   भ
चि    र    रु
स्थि   र    ग
प्र    ख    र
व   च   तु
चि   र   ये
ह    न    वि
 गि   रि   रा
र्मा   स   मि
थे   न    हि
स्ती   र्ण   त
जी    शि   ख
र   वी
र   वी
टि   नी
रि   णी
लघू गुरु क्रमU    _     _ _     _    _ U     U     U  U     U     __     U     UU     _
गणल  ग

१४) हरिणी

अक्षरे- १७    

गण – न, स, म, र, स, ल, ग  

यती- ६ व १० व्या  अक्षरांवर

उदा-द   च   कु
च   प   ल
नि   ब   घे
च   र   णी
व्या   धा   ला
 घे    उ   ड्डा
 जो   स   व

णे    स्थि   रे
त्स   कु   णी
ल    क  शी
 मृ   गी
उ   गी
लघू गुरु क्रमU    U    U  U    U    __    _    _  _    U    _ U    U    _U       _
गणम ल   ग

१५) स्रग्धरा

अक्षरे- २१    

गण – म, र,  भ, न, य, य, य

यती- ७ व १४ व्या  अक्षरांवर

उदा-ही   का   आ
का   घे   शा
स्व   र्गी   चे
ते   जो   रा
का   श   गं
मा   न   भः
हे    ब   घू
शी   प्र   भू
गा   अ   व
श्री   स्र   ज
नी   वि   भ
ची   चि   र
त   र   ण
वि   म   ल
व    म   न
रु   चि   र
न   का   दी
शि  री    दि
क   से    हो
व    धू     प्र
स   ती    का
व्य  ही    मा
ऊ   न     मु
कृ   ति    स्र
न   वी   ची
ध   वी   ची
ग्ध   रा   ही
ध    रा   ही
लघू गुरु क्रम_     _     _  _     U     __     U     UU     U     U U     _     _ U     _     _ U     _     _ 
गण भ

१६) पञ्चचामर

अक्षरे- १६    

गण – ज, र, ज, र, ज, ग 

यती- दर आठ अक्षरांनंतर

उदा-ज    टा    क
वि    लो    ल
ध     ग    द्ध
कि   शो   र
टा    ह    सं
वी    चि   व
ग    द्ध    ग
चं    द्र    शे
भ्र    म    भ्र
ल्ल  री    वि
ज्ज्व  ल   ल्ल
ख    रे     र
म   न्नि   लिं
रा   ज    मा
ला   ट    प
तिः   प्र    ति
प    नि    र्झ
न    मू    र्ध
ट्ट    पा    व
क्ष    णं     म
री
नि
के
लघू गुरु क्रमU    _     U  _     U     _U     _     U  _     U     _U     _     U _
गण ज 
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